मैंने जब जब तुझसे रूठने के जतन किये तेरी मुस्कुराहट ने आकर गले लगा लिया मुझे♥
दुनियाँ की निग़ाह में एक जुर्म हो गया था वो जो तुझसे मोहब्बत में तू मेरा दिल हो गया था मिलती कभी कभी तो दुआ गिन लेते हम हमने तो हाथ फैलाए और सब मिल गया था मुझको तबियत से मिली है सब की बद्ददुआएँ फिर भी कुछ कहते हैं क़िस्मत से कम मिला था उसके मिजाज़ में अब वो फ़नकारी नहीं जब कभी मिलता है लगता है यूँ ही मिला था अब होशो हवास में लाकर उसकी याद क्या दिलायेगा मैं तो नींद में भी हरदम उसके संग चला था