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  मैंने जब जब तुझसे रूठने के जतन किये   तेरी मुस्कुराहट ने आकर गले लगा लिया मुझे♥  
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दुनियाँ की निग़ाह में एक जुर्म हो गया था वो जो तुझसे मोहब्बत में तू मेरा दिल हो गया था मिलती कभी कभी तो दुआ गिन लेते हम हमने तो हाथ फैलाए और सब मिल गया था मुझको तबियत से मिली है सब की बद्ददुआएँ फिर भी कुछ कहते हैं क़िस्मत से कम मिला था उसके मिजाज़ में अब वो फ़नकारी नहीं जब कभी मिलता है लगता है यूँ ही मिला था अब होशो हवास में लाकर उसकी याद क्या दिलायेगा मैं तो नींद में भी हरदम उसके संग चला था
बाँट लिया था सब कुछ कुछ भी आधा तो नहीं था पर मिलेगा सब कुछ यह वादा तो नहीं था जब तक मुसलिफ़ी में थे हर चीज़ लुटा दी थी उस पर शोहरतें और ख़िताब भी देंगे यह इरादा तो नहीं था खुदा ने जिसको दिया हैसियत से नवाज़ा उसको सबको हिसाब से मिलेगा चाहे कह दो माँगा तो नहीं था मुझको मिला जो भी मिला उसकी मर्ज़ी से सब कैसे बाँट लेते हम कुछ भी साँझा तो नहीं था ना जाने किस मजबूरी में सब बेच दिया उस ने मैं यह सोच कर परेशान हूँ कहीं दाम ज़्यादा तो नहीं था 
पहले ध्यान से पढ़े इसके बाद कुछ कमेंट करें । एक स्त्री के पैरो के बीच से जन्म लेने के बाद उसके वक्षस्थल से निकले दूध से अपनी भूख, प्यास मिटाने वाला इंसान..... बड़ा होते ही औरत से इन्हीं दो अंगो की चाहत रखता है....।।। और अगर असफल होता है तो इसी चाहत में वीभत्स तरीको को अंजाम देता है.। बलात्कार और फिर हत्या।। जननी वर्ग के साथ इस तरह की मानसिकता क्यूँ??? वध होना चाहिए ऐसी दूषित मानसिकता के लोगों का। मेरी नजरों में बलात्कार से बड़ा कोई जुर्म नहीं है धरती पर। इस पर आत्म मंथन कीजिए कि जो तुम्हारी माँ, बहिन, बेटी के आँचल में हैं वो इज्जत हैं..... तब दूसरी स्त्रियां तुम्हारी रखैल कैसे??? महिलाओं आके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार इस दुनिया का सबसे नीच, गन्दा, शर्मनाक कृत्य है...... एक लड़का Fecebook पर पोस्ट करने पर जेल भेज दिया जाता हैं& बलात्कार करने वाले को बाल ग्रह सुधार केंद्र भेजा जाता है ये भारत मे ही क्यों हो रहा है Plz,,,,,,,,, हर नारी की इज्जत करे , कृपया अपनी राय जरुर दें जय श्री राधे कृष्णा
मैंने जब जब तुझसे रूठने के जतन किये तेरी मुस्कुराहट ने आकर गले लगा लिया मुझे♥
मेरे पास हो कर भी तू इतना दूर क्यों है देखने में दरिया है पर स्वाद में समंदर क्यों है मिले जब भी तुझसे हम मिले खुले आसमान की तरह तेरे मेरे प्यार के बीच यह बवंडर क्यों है और दिल दिया है मुझको मेरा ऐतबार भी करो यदि कुछ चाहता हूँ तुमसे तो यह ख़िलाफ़त क्यों है तुम कोई काँच नहीं जो छूने से टूट जाओगे कस कर थाम लो हाथ मेरा इतनी नज़ाकत क्यों है दुनियाँ की परवाह छोड़ दो लोगों का ज़मीर अब जारी हो गया है जब उनको तुम्हारी नहीं तुम्हें उनकी ज़रूरत क्यों है