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बाँट लिया था सब कुछ
कुछ भी आधा तो नहीं था
पर मिलेगा सब कुछ
यह वादा तो नहीं था
जब तक मुसलिफ़ी में थे
हर चीज़ लुटा दी थी उस पर
शोहरतें और ख़िताब भी देंगे
यह इरादा तो नहीं था
खुदा ने जिसको दिया
हैसियत से नवाज़ा उसको
सबको हिसाब से मिलेगा
चाहे कह दो माँगा तो नहीं था
मुझको मिला जो भी
मिला उसकी मर्ज़ी से
सब कैसे बाँट लेते हम
कुछ भी साँझा तो नहीं था
ना जाने किस मजबूरी में
सब बेच दिया उस ने
मैं यह सोच कर परेशान हूँ
कहीं दाम ज़्यादा तो नहीं था 

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