*परमात्मा के पास बैठिये* *इतने गहरे भाव से कि* *आँसू आ जाएँ,* *किसी प्रकार की कोई आकांक्षा* *या मांग न रखें,* *परमात्मा का होना ही आशीर्वाद है* *मांगना नहीं पड़ता* *उनके पास होने से ही सब मिल जाता है।* *जैसे फूल के पास जाओ* *खुशबू अपने आप ही मिलने लगती है* *परमात्मा ने सारी व्यवस्था पहले ही की हुई है* *मांगने की जरूरत ही नही है* *बस उनके पास जाना है,* *उनकी शरणागति स्वीकार कर लेना* *उनके बताये मार्ग पर चलना* *हमारा कर्तव्य बस इतना ही है* *बाकी सब कुछ स्वयं ही हो जाता है।* *बोलो साईं नाथ महाराज की जय* 🙏🏻🌹🍂