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शायरी

शिकवे मुझे भी जिंदगी से है साहब

पर मौज में जीना है इसलिए शिकायते नहीं करता"

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जमाने

"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं! "जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है! "कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है! "और कभी यादों के सहारे जिंदगी कट जाती है! "किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते! "फिर जीवन म...
  मैंने जब जब तुझसे रूठने के जतन किये   तेरी मुस्कुराहट ने आकर गले लगा लिया मुझे♥  
मेरे पास हो कर भी तू इतना दूर क्यों है देखने में दरिया है पर स्वाद में समंदर क्यों है मिले जब भी तुझसे हम मिले खुले आसमान की तरह तेरे मेरे प्यार के बीच यह बवंडर क्यों है और दिल दिया है मुझको मेरा ऐतबार भी करो यदि कुछ चाहता हूँ तुमसे तो यह ख़िलाफ़त क्यों है तुम कोई काँच नहीं जो छूने से टूट जाओगे कस कर थाम लो हाथ मेरा इतनी नज़ाकत क्यों है दुनियाँ की परवाह छोड़ दो लोगों का ज़मीर अब जारी हो गया है जब उनको तुम्हारी नहीं तुम्हें उनकी ज़रूरत क्यों है