प्राइमरी स्कूल में मास्टर जी गहरी नींद मे सो रहे थे।
तभी कलेक्टर साहब आ गये।
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मास्टर जी पकडे गये।
बहुत देर उठाने के बाद मास्टर की नींद खुली।
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नीन्द खुलते ही मास्टर कलेक्टर को देखते ही बोले -
तो बच्चों, समझ गए ना, कुंभकर्ण ऐसे सोता था।
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कलेक्टर साहब बेहोश
"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं! "जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है! "कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है! "और कभी यादों के सहारे जिंदगी कट जाती है! "किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते! "फिर जीवन म...
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