Skip to main content

जोकस

��������������
एक बार एक फौजी अफसर की शादी हुई तो उसने अपने
बटालियन के सभी जवानों को शादी की दावत पर बुलाया ।

खाना टेबल पर लगाकर सब जवानों को फौजी
अँदाज मे कहा :- मेरे शेरो इस खाने को दुशमन
समझकर इसके उपर टुट पड़ो ।

थोड़ी देर मे फौजी अफसर क्या देखता है कि जाट एक
हाथ से लड्डू - जलेबी खा रहा है और एक हाथ से
लड्डू-जलेबी जेब मे ठूस रहा है :-

अफसर :- जवान यह क्या हो रहा है ।

जाट :- साहब जितने मारने थे उतने
मार दिये बाकियों को बंदी बना रहा हूँ..
��������������������������

Comments

Popular posts from this blog

जमाने

"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं! "जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है! "कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है! "और कभी यादों के सहारे जिंदगी कट जाती है! "किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते! "फिर जीवन म...
बाँट लिया था सब कुछ कुछ भी आधा तो नहीं था पर मिलेगा सब कुछ यह वादा तो नहीं था जब तक मुसलिफ़ी में थे हर चीज़ लुटा दी थी उस पर शोहरतें और ख़िताब भी देंगे यह इरादा तो नहीं था खुदा ने जिसको दिया हैसियत से नवाज़ा उसको सबको हिसाब से मिलेगा चाहे कह दो माँगा तो नहीं था मुझको मिला जो भी मिला उसकी मर्ज़ी से सब कैसे बाँट लेते हम कुछ भी साँझा तो नहीं था ना जाने किस मजबूरी में सब बेच दिया उस ने मैं यह सोच कर परेशान हूँ कहीं दाम ज़्यादा तो नहीं था